उसने जब कहा
कि कल किसी और के साथ
वह रतिरत हुई
तो मुझे लगा
कि मेरी दुनिया ही भस्म हो गई
दरअसल वह दूसरा आदमी
जो आभास में ज्योतिर्लिंग था
एक मौखिक अभिसार के बाद
उसके भीतर
गहरे समाहित होने की अपनी बेचैनी को
ऋतु आने तक
रोक न सका था
और उसने
इस अप्रत्याशित पर साहसिक मंथन को
केवल हमारे प्रेम की बिना पर
न होने देने को
अमानवीय-सा समझा था